अगर किया है आपने यह कोर्स तो नहीं है अस्पताल बंद करने की जरूरत



इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के प्रैक्टिशनर को नहीं कराना होगा पंजीयन

दमोह - दमोह जिले में विगत दिनों पथरिया क्षेत्र के नंदराई गांव में एक ग्रामीण की झोलाछाप चिकित्सक के माध्यम द्वारा इलाज करने में मौत हो गई, जिसका समाचार प्रकाशित होने पर दमोह जिले के कलेक्टर सुधीर कोचर द्वारा संज्ञान लेकर फर्जी व झोला छाप चिकित्सा पद्धति करने वालों पर सिकंझा कसा एवं दमोह के स्वास्थ्य अधिकारी सीएमओएच के माध्यम से तीम बनाकर जांच दल तैयार किए गए, और दामों के सभी तहसीलों में जांच अभियान शुरू किया गया तब देखने में आया कि भारी मात्रा में बंगाली चिकित्सक और बिना डिग्री डिप्लोमा धारी चिकित्सा विदा करके पाए गए और अंग्रेजी दवाइयां मरीजों को देते मिले, कई जगह तो देखने मिला है कि 50-50 बिस्तर की ओपीडीवी चालू है जहां पर मरीजों को इंजेक्शन, वाटल वा कई महंगी जा चुकी सुविधा भी ग्रामीण क्षेत्र में महिया है जो की पूर्ण रूप से फर्जी है ना कोई डिग्री है ना डिप्लोमा है और पैथोलॉजी लैब भी पथरिया जैसे क्षेत्र में फल फूल रहे हैं, वैसे देखने में आया है कि दमोह जिले के सभी तहसीलों में फर्जी पैथोलॉजी लैब खुले हुऐ हैं, और फर्जी क्लिनिक और लैब के माध्यम से इलाज के नाम लोगों से मोटी रकम वसूली जा रही है, इन सब का खुलासा तब हुआ जब जांच डालने मौके पर पहुंचकर गली-गली में खुले फर्जी क्लिनिक पर छापा मारा तो फर्जी क्लीनिक चलाने वाले ताला जड़कर भाग खड़े हुए,संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्य प्रदेश के आदेश क्रमांक अ. प्रशा./सेल -6/एफ.-292/2011/1084 दिनांक 26. 08. 2011के अनुसार समस्त कलेक्टर मध्य प्रदेश व समस्त जिला पुलिस अधीक्षक मध्य प्रदेश को सूचना जारी की गई थी! जिसमें फर्जी चिकित्सकों झोलाछाप द्वारा रोगियों का उपचार किया जा रहा है अधिकांश ऐसे चिकित्सक एलोपैथी पद्धति की औषधियां रोगियों को दे रहे हैं बिना उपयुक्त ज्ञान के इस प्रकार का उपचार घातक होता है ऐसे कई प्रकार सामने आए हैं जहां अपात्र फर्जी चिकित्सकों द्वारा गलत इंजेक्शन देने से रोगियों को एब्सेस,गैंग्रीन आदि हो गया है, और यहां तक कुछ रोगियों की मृत्यु भी हो गई है, ऐसी जांच के आदेश 2011 एवं 2018 में भी जारी किए गए थे, और बीच-बीच में अभी जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा अभी कार्यवाही की जाती है,

 इलेक्ट्रोहोम्योपैथी प्रैक्टिशनर को नहीं है पंजीयन करने की जरूरत..... 

भारत में आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी व भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी एंड बायोकेमिक सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन के प्रावधानों के अनुसार मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया एक्ट 1956 की धारा 15 (1) के अंतर्गत मान्यता धारी का मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल अधिनियम 1987 के अंतर्गत पंजीयन कराना अनिवार्य है, वही 1970 के अंतर्गत शेड्यूल के उल्लेखित मान्य अहरताधारी का बोर्ड आफ आयुर्वैदिक एंड युनानी सिस्टम आफ मेडिसिन एंड नेचरोपैथी मध्य प्रदेश के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य है एवं होम्योपैथिक सेंट्रल काउंसिल एक्ट 1973 की दूसरी /तीसरी अनुसूची में मान्य अहर्ताधारी का स्टेट कौंसिल ऑफ़ होमियोपैथी मध्य प्रदेश के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य है, चिकित्सा शिक्षा संस्थान( नियंत्रण )अधिनियम 1973 की धारा 7-ग के अनुसार अभिधान डॉक्टर का उपयोग केवल उपरोक्त मान्य चिकित्सा मैं रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर ही कर सकते हैं अपात्र व्यक्ति द्वारा डॉक्टर शब्द का उपयोग करने पर 3 वर्ष का कारावास और ₹50000 जुर्माना या दोनों ही हो सकते हैं! और वही इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन देश के विधान अनुसार स्थापित चिकित्सा पढ़ती नहीं है, किंतु इस पद्धति के व्यवसाईयों हेतु माननीय उच्च न्यायालय पश्चिम बंगाल,मध्य प्रदेश तथा दिल्ली द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही न किए जाने संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं, और आदेशित किया गया है कि अपनी ही चिकित्सा पद्धति में व्यवसाय करे,व रोगियों का इलाज करें, और साथ में इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन करने वाले प्रैक्टिशनर को अपना पंजीयन मध्य प्रदेश उपचार ग्रह तथा रुजोपचार संबंधी स्थापना ( रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन ) अधिनियम 1973 के अंतर्गत नहीं किया जाना है, किंतु उक्त अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत इन पर कोई कार्यवाही भी नहीं की जाएगी।

Post a Comment

और नया पुराने